हाई स्कूल से निकलकर, यूनिवर्सिटी में जाना, हर स्टूडेंट का सपना होता है। यूनिफोर्म, और स्टूडेंट लाइफ से आजाद, एक ऐसी दुनिया की एक्साइटमेंट, लेकिन दूसरी तरफ, अपने स्कूल के दोस्तों से दूर होने का थोड़ा सा दुख। कंचन भी कुछ ऐसे ही, हालात से गुजर रही थी। इसलिए, उसने और उसके सभी दोस्तों ने रीयूनियन का प्लान बनाया। अगली सुबह मिलकर, उन सब ने खूब बातें और मौज मस्ती की। फिर एक पुराने टीचर से मिलने चले गए। टीचर से, आम बातों की जगह, जीवन की शिकायतें करने लगे। ये देखकर, वो टीचर, अपनी रसोई में गए। कॉफी और साथ में कांच के कुछ महंगे सुंदर कप और कुछ चीनी मिट्टी के कप लाए। उन्होंने बच्चों को- खुद कॉफी डालने के लिए कहा।
जब सभी ने कॉफी ले ली, तब टीचर ने कहा: ये देखो, आप सभी ने महंगे कप लिए, न कि वो सबसे सस्ते कप। अपने लिए बैस्ट चाहना कोई बुरी बात नहीं, लेकिन परेशानियों और दुख की असल वजह, यही है। सस्ते कप में कॉफी पिएंगे, तब भी उसका स्वाद वही रहेगा। लेकिन, आप सभी ने, कॉफी के स्वाद को महसूस करने की जगह, कप को अहमियत दी। असल में हमारा "जीवन भी इसी कॉफी की तरह है, और तमाम बाकी चीजें, जैसे- नौकरी, घर, कार, पैसा, ये सब कप हैं। कम चीजें हैं, दूसरों की तरह अमीर नहीं है, फिर भी, अगर आप शांत और सुखी हैं, यही जिंदगी का संदर्भ है।